गर्दन दर्द से हैं परेशान तो यहां तलाशें समाधान

गर्दन दर्द से हैं परेशान तो यहां तलाशें समाधान

डॉक्‍टर राजू वैश्‍य

कमर दर्द की तरह गर्दन दर्द ऐसी सामान्‍य समस्‍या है जिसका सामना हर व्‍यक्ति को किसी न किसी रूप में अवश्‍य करना पड़ता है, लेकिन कई लोग लापरवाही अथवा नासमझी के कारण  जीवन भर की आफत मोल ले लेते हैं। कई लोग गर्दन दर्द की अनदेखी करते रहते हैं जबकि कई लोग इसका इलाज कराने के लिए नीम हकीमों अथवा नाइयों के पास चले जाते हैं और अपनी गर्दन तुड़वा बैठते हैं।

कारण

प्रकृति ने हमारी गर्दन को इस तरह लचीला बनाया है कि उसे शरीर के अन्‍य अंगों की तुलना में सबसे अधिक मोड़ा और घुमाया जा सके, लेकिन इस विशिष्‍ट व्‍यवस्‍था के कारण गर्दन अन्‍य अंगों की तुलना में नाजुक बन गई है। इस कारण मामूली चोट या झटका भी गर्दन में फ्रैक्‍चर या डिस्‍क खिसकने का कारण बन सकता है। उम्र बढ़ने पर गर्दन की हड्डी या उसकी डिस्‍क को कुछ न कुछ क्षति होती ही है और इस कारण हर व्‍यक्ति को अधिक उम्र होने पर किसी न किसी स्‍तर पर गर्दन दर्द का सामना करना पड़ता है।

गर्दन की हड्डी रीढ़ का ही हिस्‍सा होती है। इसकी संरचना इस प्रकार की होती है, ताकि हम गर्दन को पीठ की तुलना में अधिक घुमा सकें। गर्दन दर्द का प्रमुख कारण गर्दन की डिस्‍क का लचीलापन घट जाना या उसका घिस जाना है। डिस्‍क के घिस जाने या क्षतिग्रस्‍त हो जाने पर स्‍नायु की कार्यप्रणाली में भी बाधा पड़ती है। उदाहरण के लिए डिस्‍क के बाहरी स्सिे के घिसने के कारण भीतर के मुलायम पदार्थ बाहर आ सकते हैं। इसे हर्निएट डिस्‍क कहा जाता है। इससे वहां के स्‍नायु पर दबाव पड़ सकता है। इसके अलावा आस-पास की दो वर्टिब्रा आपस में रगड़ खा सकती है जिससे स्‍नायु को नुकसान पहुंच सकता है। कई बार डिस्‍क से गुजरने वाले स्‍पाइनल कॉर्ड पर दबाव पड़ सकता है। इन सभी कारणों से गर्दन दर्द, सुन्‍नपन, कमजोरी और गर्दन को घुमाने में तकलीफ हो सकती है। फ्रैक्‍चर, ट्यूमर और संक्रमण के कारण भी गर्दन की समस्‍याएं हो सकती हैं और तनाव एवं उच्‍च रक्‍तचाप भी गर्दन दर्द का कारण बन सकते हैं।

गर्दन की एक अत्‍यंत तकलीफदेह अवस्‍था स्‍पाइनल स्‍टेनोसिस है। यह तब उत्‍पन्‍न होती है जब गर्दन के जोड़ों में आर्थराइटिस को जाती है और इन जोड़ों के आस-पास की हड्डी बढ़ने लगती है। हड्डी बढ़ने से स्‍पाइनल नर्व पर दबाव पड़ता है, जिससे गर्दन एवं बांहों में दर्द और सुन्‍नपन महसूस हो सकता है तथा चलने-फ‍िरने में तकलीफ हो सकती है।

बचाव

सोने, बैठने और चलने-फिरने के दौरान सही मुद्राएं अपनाकर, गर्दन के व्‍यायाम करके, शारीरिक वजन पर नियंत्रण रखकर तथा धूम्रपान से परहेज करके गर्दन दर्द से काफी हद तक बचा जा सकता है। गर्दन की तकलीफ होने पर कारणों की जांच के लिए गर्दन के एक्‍स-रे और एम.आर.आई की जरूरत पड़ सकती है।

इलाज

गर्दन की तकलीफ की शुरुआती अवस्‍था में आराम, गर्दन के व्‍यायाम, नॉन स्‍टेरॉयड एंटी इंफ्लामेट्री दवाएं, सिकाई और कॉलर की मदद से राहत मिलती है। सोते वक्‍त गर्दन एवं सिर के नीचे पतला तकिया लेने से भी आराम मिलता है। कई बार गर्दन की ट्रैक्‍शन की भी सलाह दी जाती है मगर ये ट्रैक्‍शन किसी योग्‍य चिकित्‍सक की देखरेख में लगवाना चाहिए। इसी प्रकार गर्दन के व्‍यायाम भी डॉक्‍टर की सलाह से ही करना चाहिए। बहुत अधिक दर्द होने पर स्‍पाइन कॉर्ड के बाहर स्‍टेरॉयड अथा एनेस्‍थेटिक दवाइयों के इंजेक्‍शन दिए जा सकते हैं। इन उपायों से फायदा नहीं होने पर सर्जरी की जरूरत पड़ती है। मौजूदा समय में माइक्रोडिस्‍केक्‍टॉमी जैसी माइक्रो सर्जरी की मदद से डिस्‍क को निकालना आसान हो गया है। कई मरीजों को माइक्रोडिस्‍केक्‍टॉमी के अलावा अस्थि प्रत्‍यारोपण की तथा कई मरीजों को प्‍लेटिंग की भी जरूरत पड़ती है।

(प्रभात प्रकाशन से छपी किताब फैमिली हेल्‍थ गा‍इड से साभार)

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।